नमस्कार दोस्तो, आज हम इस (what is surrogacy meaning in Hindi) लेख में सरोगेसी के बारे में विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं।
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सरोगेसी क्या है?
आज हम २१ वीं सदी की शुरुआत में हैं, जब परिवार नियोजन की बात आती है, तो हमने इस विषय मे विज्ञान और चिकित्सा विकास के नवीन विकल्पों को अपनाया है। सरोगेसी उन नए जोड़ों के लिए वरदान है, जिनको गर्भधारण होणे मे समस्या है, या किसी कारणवश गर्भधारणा हो नहीं सकती। इन जोडो के लिये सरोगेट मां वह महिला होती है जो अपने गर्भ में एक ऐसे दंपति के लिए बच्चे को पालती है जिनके बच्चे नहीं होते हैं। इसी प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है।
सरोगेट मदर
सरोगेट का अर्थ है विकल्प, साथ ही एक सरोगेट मां वह महिला होती है जो अपने गर्भ में एक ऐसे दंपति के लिए बच्चे को पालती है जिनके बच्चे नहीं होते हैं। इसमें मां अपने गर्भाशय को किराए पर देती है। जो ऐसे जोड़ों को पालन-पोषण का आनंद लेने की अनुमति देता है जिन्हे बच्चे हो नही सकते। यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है। लेकिन इस विकल्प का उपयोग आज कानून के ढांचे के भीतर रहकर किया जाता है।
यह विकल्प विभिन्न देशों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लोग बच्चे को गोद लेने के बजाय सरोगसी को चुनते हैं। भारत में सरोगेसी की कम लागत के कारण, दुनिया में सबसे अधिक सरोगेट मदर भारत मे हैं। नतीजतन, विदेशों के कई जोड़े भारत में सरोगेसी को चुनते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि भारत जल्द ही सरोगेसी की राजधानी बनेगा।
लोग सरोगेसी क्यों चुनते हैं?
सरोगेसी विकल्प चुनने के कई कारण हैं। मुख्य रूप से ऐसी समस्याएं हैं जिनका सामना महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान करना पड़ता है। साथ ही कई महिलाओं को गर्भाशय की समस्या होती है, इसलिए वे गर्भधारण नहीं कर पाती। साथ ही, कुछ महिलाओं में जन्म के समय गर्भाशय नहीं होता है, जबकि अन्य में बीमारी के कारण इस अंग को हटा दिया जाता है। साथ ही लंबे समय से गर्भपात कराने वाली महिलाओं को सरोगेसी का विकल्प चुनना पड़ता है।
सरोगेसी के प्रकार :
1) पारंपरिक सरोगेसी
पारंपरिक सरोगेसी में, सरोगेट महिला गर्भ धारण करने के लिए अपने अंडाशय का उपयोग करती है। इस पद्धति में सरोगेट मदर का रिश्ता होशपूर्वक या कृत्रिम रूप से किया जाता है। इस विधि को पारंपरिक सरोगेसी कहा जाता है। इस तरह दंपति की महिला का बच्चे के साथ कोई आनुवंशिक संबंध नहीं होता है। इसलिए ऐसे संबंध कानून की दृष्टि से गलत होते हैं। इसलिए दुनिया में ऐसे रिश्तों को अवैध माना जाता है।
2) जेस्टेशनल सरोगेसी
जेस्टेशनल सरोगेसी में, सरोगेट मदर दूसरे व्यक्ति के लिए गर्भधारण करने के लिए सहमत होती है। इसके अलावा, उस जोडे के पुरुष के शुक्राणु ओर महिला का डिंब का ivf द्वारा मिलन करके सरोगेट महिला के गर्भाशय में छोड़ा जाता है। इस तरह एक सरोगेट मां गर्भवती हो जाती है। नौ महीने तक सरोगेट मां बच्चे को अपने गर्भ में रखती है। यदि उस महिला के डिंब का उपयोग करना संभव नहीं है जो कि बच्चा चाहती है, तो डिंब को डिंब दाता से लिया जाता है। यह बच्चा इस महिला के साथ जैविक संबंध साझा करेगा, लेकिन वह बच्चे की आनुवंशिक मां नहीं हो सकती। यह कानूनी रूप से भी सही है।
सरोगेसी का उपयोग किसे करना चाहिए?
अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के अनुसार, सरोगेसी की सिफारिश ऐसे समय में की जाती है जब किसी जोड़े को चिकित्सकीय कारणों से गर्भधारण करने में कठिनाई हो रही हो। लेकिन कुछ शर्तें हैं।
1) गर्भाशय की विसंगति या गर्भाशय की अनुपस्थिति के मामले में।
2) गर्भावस्था के दौरान मां या भ्रूण के जीवन को खतरे में डालने वाली मुख्य चिकित्सा स्थितियां।
3) बच्चा पैदा करने में जैविक अक्षमता। उदा. समलैंगिक पुरुष जोड़ी या एकल पुरुष।
सरोगेट मां कैसे खोजें?
अधिकांश लोग क्लीनिक, वेबसाइट, वकीलों और निजी एजेंसियों के माध्यम से सरोगेट माताओं की खोज करते हैं।
कुच लोग परिवार के किसी सदस्य को अपनी सरोगेट मां के रूप में चुनते हैं।
सरोगेसी में कोण-कोणसी बातो को ध्यान मे रखे!
- सरोगेसी में कई कानूनी, नैतिक और वित्तीय मुद्दे शामिल हैं।
- अगर किसी समय सरोगेट मां जन्म देने से इंकार कर दे तो क्या करें।
- सरोगेट मां को कितना भुगतान करना चाहिए? क्योंकि वह पैसे के लिए ऐसा करती है।
- यदि इस अवधि के दौरान एक सरोगेट मां बीमार पड़ जाती है, तो उसकी देखभाल कौन करेगा?
- सरोगेट मां या उसके परिवार की मदद कैसे करें? यदि वे इस दौरान बीमार हो जाती हैं या मर जाती हैं?
- इसमें बहुत सी छोटी-बड़ी बातें हैं जो आपको किसी सरोगेसी संस्था या वकील से सलाह लेने की जरूरत है।
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